वेलकम टू आई० सी० टी० कंप्यूटर कैंपस- अलीगंज शाहगंज जौनपुर - ट्रेनर - संतोष कुमार गुप्ता द्वारा सम्पादित :-
कंप्यूटर वायरस एक प्रकार का प्रोग्राम होता है जो प्रोग्रामर द्वारा तैयार किया जाता है और यह प्रोग्राम कंप्यूटर व कंप्यूटर यूजर के लिए बड़ी समस्या है इसके वायरस रूपी प्रोग्राम की वजह से आपका कंप्यूटर में समस्या आ जाती है,कंप्यूटर वायरस का सीधा हमला आपके सॉफ्टवेर पर होता है और कभी कभी ये वायरस हार्डवेयर को भी नुकसान पंहुचा देते है लेकिन इसकी सम्भावना बहुत ही कम रहती है.कंप्यूटर वायरस यूजर की महत्वपूर्ण जानकारी को नष्ट कर देता और साथ ही साथ आपके सूचना को बिना आपके जानकारी के दुसरे तक पंहुचा देता है.इस वायरस के वजह से हमारे कंप्यूटर की रफ़्तार काफी कम हो जाती है और हमरा ईमेल इनबॉक्स अवांछित मेल से भर जाता है. कंप्यूटर वायरस का नेचर है कि वह अपना क्लोन बनाकर पुरे सिस्टम को संक्रमित कर देता है और नेटवर्क,पेन ड्राईव,इन्टरनेट,सी० डी ०,डी.वी.डी की वजह से दुसरे कंप्यूटर में भी सरलता से पहुच कर उसको भी संक्रमित कर देता है.
अगर कंप्यूटर वायरस को कंप्यूटर की भाषा में परिभाषित किया जाये तो कुछ इसप्रकार से कर सकते है "वायरस" किसी कोड का भाग होता है जिसे गुप्त रूप से किसी सिस्टम को दूषित करने या इसके डेटा नष्ट करने के उद्देश्य से प्रविष्ट कराया जाता है. किसी वास्तविक वायरस में स्वयं को दोबारा उत्पन्न करने और अन्य कंप्यूटर्स को प्रभावित करने की क्षमता होती है"
कंप्यूटर वायरस का इतिहास एवं प्रकार :-
सबसे पहला वायरस क्रीपर था जो अरपानेट पर पाया गया था , जो १९७० के दशक की शुरुआत में इंटरनेट से पहले इन्टरनेट को अरपानेट के नाम से जाना जाता था इसमें सिमित यूनिवर्सिटी ही जुड़े थे.1974 में वेबित (webit) वायरस आया जो किसी भी मशीन को पूरी तरीके से बर्बाद कर सकता था. 1980 के दशक के आस-पास फ्लॉपी ड्राईव के द्वारा फ़ैलाने वाला वायरस जिसका नाम एइक क्लोनर (eik cloner ) था. 1990 के बाद अधिकांश कंप्यूटर पर माइक्रोसॉफ्ट के सॉफ्टवेर रन हो रहे थे जिसके वहज से वायरस को फैलने की बहुत बड़ा सिंगल प्लेटफोर्म मिल गया और जब इन्टरनेट के दौर 1996 से स्टार्ट हुआ तो ईमेल व फाइल ट्रान्सफर के जरिये वायरस तेजी से फैलने लगे .
कंप्यूटर वायरस लगभग 9 प्रकार के होते है :-
1- बूट सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus) इस वायरस का इफ़ेक्ट बूट सेक्टर पर पड़ता है जिसके वहज से मशीन स्टार्ट नहीं हो पाती
2 - ब्राउजर हाइजैकर ( Browser Hijacker) अक्सर इन्टरनेट पर कई बार वेब साइट्स पर विज्ञापन की बाढ़ आ जाती है ये इसी वायरस की वजह से होता है
3 - डायरेक्ट एक्शन वायरस (Direct Action Virus) ये वायरस किसी executable फाइल के साथ कंप्यूटर को इन्फेक्टेड करता है
4 - फाइल इन्फेक्टोर वायरस (File Infector Virus) ये भी executable के तरीके का होता है लेकिन यह हमारे प्रोग्राम की कोड को बदल कर अपना कोड लिख देता है
5 - मैक्रो वायरस (Macro Virus) अक्सर इस प्रकार के वायरस माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस से सम्बंधित होते है ये आउटलुक के द्वारा ईमेल कि कई कॉपी भेजकर यूजर को परेशान कर सकता है इसका उदाहरन- Melissa वायरस
6 - मल्तिपर्तिज वायरस (Multiparties Virus) इस प्रकार वायरस कई सोर्स से फैलकर हमारे सिस्टम सॉफ्टवेर और अंको फाइल को नुकसान कर देते है
7 - पोलिमर्फिक वायरस (Polymorphic Virus) - इस प्रकार के वायरस बहुत ही खतरनाक होते है एक तो ये हमेशा अपना कोड बदलते रहते है और दूसरा इनका कोड कूट भाषा में लिखा होता है जिसे एंटी वायरस को जाचने में काफी मुस्किल आती है
8 - रेजिडेंस वायरस (Resident Virus) इस प्रकार के वायरस कंप्यूटर मेम्रोरी के अन्दर प्रवेश कर किसी भी एक्शन फाइल को इन्फेक्टेड कर सकते है
9 - वेब स्क्रिप्टिंग वायरस (Web Scripting Virus) कुछ ऐसी भी वेब साइट्स होती है जन्हा पर किसी भी इनफार्मेशन के देखने के लिए कई प्रकार के प्रोग्राम को रन कराना पड़ता है और उसी के थ्रू आपके कंप्यूटर में ब्राउसर के द्वारा वायरस कंप्यूटर के अन्दर प्रवेश कर जाता है.
कंप्यूटर वायरस का नाम और उनका प्रभाव :-
ईमेल वायरस : यह वायरस ईमेल के अटैचमेंट फाइल के साथ आता है जैसे ही अनजान ईमेल फाइल के अटैचमेंट को ओपन करते है तो यह वायरस आपके मेल को बॉक्स कई मेलो से भर देता है.
ट्रोजन हार्सेस:- ये वायरस इन्टरनेट पर किसी प्रोग्राम या गेम के रूप में दिखाई देता है और जैसे ही इसे डाउनलोड करते है ये आपके कंप्यूटर के प्रोग्राम को नष्ट कर देता है लेकिन ये अपना क्लोन नहीं बनता .
वम्र्स:- ये वायरस हमारे कंप्यूटर की सिक्यूरिटी सिस्टम की कमी की वजह से हमारे कंप्यूटर आ सकता है .
अब तक के सबसे खतरनाक वायरस :-
1- आईलवयू 2000 (I LOVE YOU 2000) - यह वायरस 5 मई 2000 को फिलीपिंस से ईमेल के जरिये फैलाया गया था.इस वायरस को फिलीपिंस के दो युवा स्टूडेंट्स Reomel Ramones एवं Onel de Guzman ने बनाया था.यह वायरस ईमेल के अटैचमेंट फाइल के साथ जिसके मेल पर जाता और जो उसे खोलता वह उसके मशीन में अपना क्लोन छोड़ देता और एड्रेस बुक से सभी के पते पर वह वायरस चला जाता. ये वायरस मशीन के सिस्टम में भारी परिवर्तन करके यूजर का काफी नुकसान किया. इस वायरस ने समूचे इन्टरनेट के 15 फीसदी हिस्से पर अपना कब्जा करके लगभग 5.5 लाख डॉलर का नुकसान किया .
मेलिसा 1999(Melissa – 1999)- यह मैक्रो वायरस के नाम से जाना जाता है यह कंप्यूटर सॉफ्टवेर की महत्वपूर्ण फाइल को डिलीट कर देता है यह ऑफिस सॉफ्टवेर के जरिये फैलता है .
CIH a.k.a. The Chernobyl Virus -यह वायरस ताइवान के Chen Ing Hau के द्वारा लिखा गया था | यह वायरस भी अब तक के इतिहास का सबसे ज्यादा खतरनाक वायरसों में से एक माना जाता है | इसकी वजह से करीब २० से ८० मिलियन डालर का नुकसान हुआ था | यह विंडोज 95,98 की .EXE फाईल्स को संक्रमित करने में समर्थ था | साथ ही ये कंप्यूटर के मेमोरी में रह सकता था | हार्ड डिस्क तथा बायोस(BIOS) के डेटा को ये ओवरराईट कर देता था .
बैरोटेस -1993 (Barrotes – 1993) इस वायरस से संक्रमित पीसी पर स्क्रीन पर कई लाईने दिखाई देती थी | यह पहला सबसे ज्यादा चर्चित वायरस माना जाता है, जोकि स्पेन में सबसे पहले पाया गया था | ये .COM तथा .EXE फाईल्स को संक्रमित करता था |साथ ही ये हार्ड-डिस्क के मास्टर बूट रिकोर्ड को भी ओवरराईट करता था.
स्पायवेयर
स्पायवेयर आपकी जानकारी के बिना आपके कंप्यूटर पर स्थापित हो सकता है. ये प्रोग्राम आपके कंप्यूटर की कॉन्फ़िगरेशन को बदल सकते हैं या विज्ञापन डेटा और व्यक्तिगत जानकारी एकत्रित कर सकते हैं. स्पायवेयर, इंटरनेट खोज आदतों को ट्रैक कर सकता है और आपके वेब ब्राउज़र को आपके द्वारा टाइप की वेबसाइट से दुसरे वेब साईट पर बेज सकता है .
मैलवेयर क्या है?
मैलवेयर एक ऐसा शब्द है, जिसे दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर के लिए उपयोग किया जाता है, जो किसी कंप्यूटर सिस्टम को क्षति पहुँचाने या इस पर अवांछित कार्रवाई करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है. मैलवेयर के उदाहरणों में निम्न शामिल हैं:
- वायरस
- वर्म
- ट्रोज़न हॉर्स
- स्पायवेयर
- खराब सुरक्षा सॉफ़्टवेयर
कंप्यूटर वायरस के लक्षण
- कंप्यूटर सामान्य से अधिक धीरे चलता है।
- कंप्यूटर रेसोप्न्स नहीं देता है या रह -रह हैंग हो जाता है।
- कंप्यूटर सिस्टम फाइल एरर दिखता है या हर कुछ मिनटों में पुन: चलने लगता है।
- कंप्यूटर जल्दी स्टार्ट नहीं होता और कभी कभी स्टार्ट हो जाता है ।
- आपके कंप्यूटर के सॉफ्टवेर सही ढंग से काम नहीं करते।
- डिस्क या डिस्क ड्राइव काफी स्लो हो जाती हैं।
- सही ढंग से डिस्प्ले नहीं आता है
- अव्यवस्थित तरीके से मेन्यूज़ और डायलॉग बॉक्स शो होना ।
वायरस को कैसे रोकें?
- ईमेल के अटैचमेंट्स फाइल की जाँच करें
- सदैव खोलने से पहले अटैचमेंट्स की स्कैनिंग कर उन्हें जाँच लें और सुनिश्चित करें कि अटैचमेंट्स परचित यूजर के द्वारा ही प्राप्त किया गया है।
- एक्सटेन्शन्स की जाँच करें-डाउनलोड करने से पहले सदा फ़ाइल एक्सटेंशन की जाँच करें और कई एक्सटेंशन वाली फाइलों को डाउनलोड करने से बचें।
- ब्राउज़र सेटिंग्स के माध्यम से-ब्राउज़र सेटिंग्स कोसदैव केवल भरोसेमंद वेबसाइटों की साइटों की अनुमति निर्धारित करें।
- फेक या जिन्हें आप नहीं जानते उनके ई-मेल पर ध्यान न दें
- अपरचित यूजर से प्राप्त फ़ाइलों को डाउनलोड करने से बचें, और सदैव से प्राप्त फाइलों अपरचित यूजर की उपेक्षा करना या उन्हें हटा देना बेहतर होता है।
- सॉफ्टवेयर का उपयोग करके-हमेशा एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें और नवीनतम पैच के साथ अपडेट करें और फ़ाइलों को डाउनलोड करने से पहले स्कैन करें।
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